शहीद
तेरा बेटा वतन की रक्षा करके वापस लौटेगा,
घर से निकलते वक़्त उन्होंने माँ से कहा था,
इस महान देश भारत की खातिर सर कलम करा,
लहू उन शहीद जवानों का सरज़मीन पर बहा था,
नहीं मालूम था उस मासूम माँ को वहां,
उस सरहद पार गीदड़ घात लगाये थे,
घनी धुंद और कोहरे को हथियार बना,
वो डरपोक गीदड़ सरहद में घुस आये थे,
गीदड़ों वाला काम किया उन जानवरों ने,
नोच-खसोट कर लाशों को छोड़ वो भाग गए,
किया होता हम पर वार सामने से उन्होंने,
अगर डरपोक और कायर वो ना होते,
ले जाते उन्हें वो अपनी नापाक ज़मीन पर,
वो ज़मीन पाक कर देता लहू उन लाशों का,
उस माँ ने कहा मुझे गर्व है अपने बेटे पर,
जो कहलाया वो शहीद इस माँ भारत का,
नापाक आँखें नोंची हैं हम शेरो ने हर बार,
जब झक्जोरा है किसी ने सम्मान भारत का,
शेर हैं हम,इस बार भी सामने से ही करेंगे वार,
दिखाएँगे पाकिस्तान को दम ख़म भारत का,
सत्ता के गलियारों में बेठें देशद्रोहियो से,
बस इतना ही अब में कहना चाहता हूँ ,
छोड़ दो ये भारत देश तुम तमीज़ से,
वर्ना हथियार उठाना में भी जानता हूँ,
आम आदमी समझ कर जेसे अब तक,
तुम लोगो ने हम मासूम लोगो को लूटा है,
हिली हैं हर बार सरकारें भी जब-जब,
गुस्सा लोगो का ज्वालामुखी बन फूटा है,
चाहिए मुझे आज जवाब हर उस बात का,
मेरे अंदर उमड़े हर इस जज्बात का,
क्यों नहीं मिला इन्साफ आज तक शहीदों को?
क्यों तोलतें है ये नेता शहीदी को पेसो से?
क्या सिर्फ मौत के समय पेसे मिले इसीलिए हम सेना में जाते हैं?
क्यों नहीं है इंसानियत इन लोगो में जो AC कार में आते हैं?
क्यों नहीं किसी जवान के शहीद होने पर कोई जश्न रद्द किया जाता?
मानसिकता की बेड़ियों में उलझा ये देश क्यों 15 अगस्त को है मनाता ?
क्यों नहीं जवाब देती ये सरकार हमारे सवालों का?
क्या कोई दर्ज़ा नहीं है इस देश में निडर रखवालों का?
दुश्मनों को आस्तीन में पाल कर क्यों अपनों पर जुल्म ढाती है?
दुश्मनों को आस्तीन में पाल कर क्यों अपनों पर जुल्म ढाती है?........
घर से निकलते वक़्त उन्होंने माँ से कहा था,
इस महान देश भारत की खातिर सर कलम करा,
लहू उन शहीद जवानों का सरज़मीन पर बहा था,
नहीं मालूम था उस मासूम माँ को वहां,
उस सरहद पार गीदड़ घात लगाये थे,
घनी धुंद और कोहरे को हथियार बना,
वो डरपोक गीदड़ सरहद में घुस आये थे,
गीदड़ों वाला काम किया उन जानवरों ने,
नोच-खसोट कर लाशों को छोड़ वो भाग गए,
किया होता हम पर वार सामने से उन्होंने,
अगर डरपोक और कायर वो ना होते,
ले जाते उन्हें वो अपनी नापाक ज़मीन पर,
वो ज़मीन पाक कर देता लहू उन लाशों का,
उस माँ ने कहा मुझे गर्व है अपने बेटे पर,
जो कहलाया वो शहीद इस माँ भारत का,
नापाक आँखें नोंची हैं हम शेरो ने हर बार,
जब झक्जोरा है किसी ने सम्मान भारत का,
शेर हैं हम,इस बार भी सामने से ही करेंगे वार,
दिखाएँगे पाकिस्तान को दम ख़म भारत का,
सत्ता के गलियारों में बेठें देशद्रोहियो से,
बस इतना ही अब में कहना चाहता हूँ ,
छोड़ दो ये भारत देश तुम तमीज़ से,
वर्ना हथियार उठाना में भी जानता हूँ,
आम आदमी समझ कर जेसे अब तक,
तुम लोगो ने हम मासूम लोगो को लूटा है,
हिली हैं हर बार सरकारें भी जब-जब,
गुस्सा लोगो का ज्वालामुखी बन फूटा है,
चाहिए मुझे आज जवाब हर उस बात का,
मेरे अंदर उमड़े हर इस जज्बात का,
क्यों नहीं मिला इन्साफ आज तक शहीदों को?
क्यों तोलतें है ये नेता शहीदी को पेसो से?
क्या सिर्फ मौत के समय पेसे मिले इसीलिए हम सेना में जाते हैं?
क्यों नहीं है इंसानियत इन लोगो में जो AC कार में आते हैं?
क्यों नहीं किसी जवान के शहीद होने पर कोई जश्न रद्द किया जाता?
मानसिकता की बेड़ियों में उलझा ये देश क्यों 15 अगस्त को है मनाता ?
क्यों नहीं जवाब देती ये सरकार हमारे सवालों का?
क्या कोई दर्ज़ा नहीं है इस देश में निडर रखवालों का?
दुश्मनों को आस्तीन में पाल कर क्यों अपनों पर जुल्म ढाती है?
दुश्मनों को आस्तीन में पाल कर क्यों अपनों पर जुल्म ढाती है?........
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